दीपावली उत्सव
भारतीय संस्कृति में दिवाली एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्यौहार द्वादशी से लेकर द्वितीया तक दिए आदिकेद्वारा रोशनाई करते हुए तेजकी आराधना करते हुए मनाया जाता है |
भारतीय संस्कृति में दिवाली एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्यौहार द्वादशी से लेकर द्वितीया तक दिए आदिकेद्वारा रोशनाई करते हुए तेजकी आराधना करते हुए मनाया जाता है |
उत्सव का नाव : ज्येष्ठागौरीउत्सव का मुहूर्त: श्रावण शु. पक्षे अनुराधा, ज्येष्ठा व मूल नक्षत्र (अष्टमी तिथियुक्त ग्राह्य ) मैत्रेणावाहये देवीं ज्येष्ठायां तु प्रपूजयेत् | मूले विसर्जये देवीं त्रिदिनं व्रतमुत्तमम् ||यदाज्येष्ठा द्वितीयदिने मध्यान्हात्पूर्वम् समाप्यते | तदा पूर्वदिनमेव पूजनम् |परदिने
श्रीगणेश चतुर्थी यह प्राचीन काल से मनाया जाने वाला उत्सव है | यह प्रधान भारतीय उत्सव है जिसे वरद चतुर्थी या शिवा ऐसा भी कहा जाता है |
श्री गणेश यह ‘विघ्नहर्ता’ माने जाते है जिस कारण हरेक शुभकार्य के पूर्व इनका पूजन किया जाता है |
भगवान शंकरजी की “पति” रूप में प्राप्ति होने की इच्छा से पार्वतीने यह व्रत किया था, ऐसा सन्दर्भ पुरानो में दिखाई देता है |
श्रावणामावास्यायां प्रदोष व्यापिनां कार्यम्
दिनद्वये प्रदोषव्याप्तौ एकदेशव्याप्तौ परा |
परदिने प्रदोष व्याप्तभावे पूर्वाग्राह्या ||
पोला / पिठोरी अमावस्या Read More »
इयं निशीथ व्यापिनी पूर्वा वा परा ग्राह्या |
उभयेद्युनिशीथयोगे अभावे वा परैव ||
अस्यां रोहिणी नक्षत्र योगे बुध सोमवार योगेच फलातिशयः ||
त्यौहार का नाम : रक्षाबंधन
त्यौहार तिथि : श्रावण शु. पौर्णिमा (महाराष्ट्रीय पंचांगानुसार)
श्रावण पूर्णिमायां भद्रारहितायां त्रिमुहुर्ताधिकोद
यद्व्यापिण्यामपरान्हे प्रदोषे वा कार्यं |