व्रत

श्रीनृसिंह अवतार : महती एवं बोध

धर्मावतार : अधर्म व दुष्ट शक्तियों का नाश करते हुए धर्मस्थापना एवं सज्जनशक्ति प्रस्थापित करने के लिए भगवान विष्णुने यह अवतार धारण किया | परम भक्तों का संरक्षण व भगवत शक्ति का सर्वव्यापकत्व सिद्ध करनेवाला यह अवतार है | […]

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संध्यावंदन : माहिती व महत्त्व

नित्य संध्यावंदन करते है राष्ट्र तथा धर्म बलशाली बनाते है | संध्या देवी की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मदेव से हुई है और यह पृथ्वी के सभी द्विजों को नित्य अंतर्बाह्य पवित्र करती है |

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सर्वपित्री अमावस्या व श्राद्ध

‘श्रद्धेने करावे ते श्राद्ध’, ऐसी इसकी एक सर्वश्रुत व्याख्या है किन्तु माता-पिता आदींके स्मरणार्थ किया जाने वाला श्राद्ध तिथीनुसारण करना चाहिए ऐसा शास्त्रवचन है |

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अनंत चतुर्दशी

कौन्डील्य नामक ऋषीने ‘अनंत’ का शोध लेने हेतु कठोर साधना की और अनंत सर्वत्र है, ऐसी उन्हें प्रचिती आई | इसी अनुभूति का स्मरण करते हुए इस व्रत को किया जाता है |

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ऋषीपंचमी

व्रताका नाव : ऋषीपंचमी व्रत  तिथी:  भाद्रपद शु. पंचमी सा माध्यान्ह व्यापिनी ग्राह्या |दिनद्वये मध्यान्ह व्याप्तौ तदव्याप्तौ च पूर्वा || पूजा मांडणी चौकी पर वस्त्र आच्छादित करते हुए उसपर चावल के आठ ढेर रखे | उसपर कश्यपादी सात ऋषि

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